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Showing posts from April, 2021

Aahista chal zindagi (आहिस्ता चल ज़िन्दगी)

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आहिस्ता चल ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है, कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है; रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ; रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ;

Mera Ghar (मेरा घर)

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  मेरा घर ------------------- आँखो मे चमक आ जाती है , गली के मोड़ से दिखता है जब मेरा घर.. फर्श पे लेट के भी आ जाती है नींद जहाँ , ममता से सजा वो पलंग है मेरा घर... माँ के शॉल की पहचानी हुई खुशबू , पिताजी की सख़्त डांट है मेरा घर .. बिना सिलवट के बिस्तर की चादर , सलीके से पड़ा सब समान है मेरा घर ..