Anjam (अंजाम)


कुछ इस तरह गुज़रती अब, हमारी हर शाम है,
एक हाथ तस्वीर उनकी,
तो एक हाथ जाम है।

बेकार है याद दिलाना, के शायद ये हराम है,
सब कुछ भूल जाते हैं, जब कोई लेता उनका नाम है।

हम तो यही कहेंगे, मय बेवजह बदनाम है,
दर्द-ऐ-दिल से हमको तो, पहुंचाती ये आराम है।

तबाह करती है शराब, गलत इस पर इलज़ाम है,
मददगार का बदनाम होना तो, क़ुदरत का निज़ाम है।

हम ग़मकारों का मय को  तहे-दिल से सलाम है,
बिना इसके तो खुदा जाने, क्या हमारा अंजाम है।

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