Dooriyan (दूरियाँ)

ये चन्द पंक्तियाँ जिसने भी लिखी है

खूब लिखी है

ग़लतियों से जुदा

तू भी नही,

मैं भी नही,

दोनो इंसान हैं,

खुदा तू भी नही,

मैं भी नही ... !

" तू मुझे ओर मैं तुझे

इल्ज़ाम देते हैं मगर,

अपने अंदर झाँकता

तू भी नही,

मैं भी नही " ... !!

" ग़लत फ़हमियों ने कर दी

दोनो मैं पैदा दूरियाँ,

वरना फितरत का बुरा

तू भी नही,

मैं भी नही...!!

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