Poore ka Poora aakash (पूरे का पूरा आकाश)
Poem by Gulzar for the movie Dus Kahaniyaan पूरे का पूरा आकाश घुमाकर बाज़ी देखी मैंने, काले घर में सूरज रख के तुमने शायद सोचा था मेरे सारे मोहरे पिट जायेंगे। मैंने एक चिराग जला के अपना रास्ता खोल लिया।