शहर की इस दौड़ में करना क्या है, जब यही जीना है दोस्तों तो फिर मरना क्या है ? पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है, भूल गए भीगते हुए टहलना क्या है ? सीरियल्स के किरदारों का सारा हाल है मालूम, पर माँ का हाल चाल पूछने की फुर्सत किसे है ? अब रेत पे नंगे पाओं टहलते क्यों नहीं, 108 है चैनल फिर दिल बहलते क्यों नहीं ? इंटरनेट की दुनिया के तो टच में है, लेकिन पड़ोस में कौन रहता है जानते तक नहीं। मोबाइल, लैंडलाइन सब की भरमार है, लेकिन जिगरी दोस्त तक पहुंचे ऐसे तार कहाँ है ? कब डूबते हुए सूरज को देखा था याद है ? कब जाना था शाम का वो बनाना क्या है ? तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है, जब यही जीना है तो फिर मरना क्या है ? ***************************** Shehar ki iss daud mein karna kya hai, jab yahi jeena hai doston to phir marna kya hai? pehli baarish mein train late hone ki fikr hai, bhool gaye bheegte hue tehelna kya hai? Serials ke kirdaaron ka saara haal hai maloom, par ma ka haal chaal poochne ki fursat kise hai? ab ret pe nange paon tehelte ...